क्या कारण है शिया वक्फ बोर्ड का मसौदा अयोध्या विवाद सुलझाने की सिर्फ एक अच्छी पहल ज्यादा लगती है ?
राम मंदिर पर चल रहे विवाद के बीच लखनऊ में सोमवार को उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरि ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर मसौदा पेश किया। इस पांच सूत्री मसौदे के ड्राफ्ट शिया वक्फ बोर्ड ने 18 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दिया। इस मसौदे के तहत विवादित जगह पर राम मंदिर बनाने और मस्जिद लखनऊ में बनाए जाने की बात कही गई है। मसौदे पर दोनों ही पक्षों के हस्ताक्षर हैं। गौरतलब है कि इस साल अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में 5 दिसंबर से सुनवाई शुरू होगी।
यह है शिया वक्फ बोर्ड का 5 सूत्री फॉर्मूला:
1. उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड विवादित भूमि पर राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए अपना अधिकार समाप्त करते हुए राम मंदिर निर्माण के लिए पूरी जमीन देने को तैयार है।
2. हिंदू समाज बाबरी मस्जिद वाले स्थान पर भव्य राम मंदिर का निर्माण कराए। इस पर शिया वक्फ बोर्ड को काई आपत्ति नहीं होगी।
3. यूपी सरकार लखनऊ के हुसैनाबाद मोहल्ला स्थित घंटाघर के सामने खाली पड़ी नजूल की जमीन में से 1 एकड़ जमीन शिया वक्फ बोर्ड को आवंटित करें।
4. यदि सरकार शिया वक्फ बोर्ड को ज़मीन आवंटित कर देगी तो वे जमीन पर मस्जिद बनाई जाए।
5. मस्जिद का नाम किसी मुस्लिम राजा या शासक के नाम पर न होकर ” मस्जिद-ए-अमन” रखी जाए। मस्जिद हिंदू-मुसलमानों सौहार्द का संदेश फैलाएगी।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की राय :
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से बयान में कहा गया है कि वे शिया वक्फ सेंट्रल बोर्ड के मसौदा से सहमत नहीं है ।वे कोर्ट के फैसला का इंतज़ार करेंगे और अदालत का जो भी निर्णय आएगा उसे मानेगें। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का दावा है कि विवादित भूमि बाबरी मस्जिद की ज़मीन है इसलिए यह स्थान मस्जिद को सौंप दिया जाए। बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ”जो मालिक ही नहीं है वह दावा कैसे छोड़ सकता है?’
मंदिर पक्षकारों ने किया मसौदे का स्वागत:
राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा, राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर रामविलास दास वेदांती, हनुमान गढ़ी के महंत धर्मदास, दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास और विश्व हिंदू परिषद के मार्गदर्शक डॉ. रामेश्वर दास ने वसीम रिजवी के मसौदे की तारीफ़ की।
अयोध्या विवाद में कौन-कौन से पक्ष हैं ?
निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड।गौर करने वाली बात है की शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड अयोध्या मामले में पार्टी नहीं है।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल का एक-तिहाई हिस्सा निर्मोही अखाड़े को, एक-तिहाई हिस्सा रामलला को और बाकी एक-तिहाई भाग सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अन्य संबंधित मुस्लिम पक्षों को देने की बात थी।
अब सवाल उठता है कि जब इलाहाबाद हाई कोर्ट के अनुसार विवादित जगह पर शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का मालिकाना हक है हि नहीं तो वह अपना अधिकार समाप्त करते हुए राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदू समाज को मंदिर बनाने की इजाज़त कैसे दे सकती है ? लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं की जिस तरह शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने आपसी सहमति की पहल की वह काबिले-तारीफ है।देश के लिए बेहतर होगा अगर मुस्लिम और हिंदू समुदाय शिया वक्फ बोर्ड के पहल का समर्थन करे और कोर्ट के बाहर अयोध्या विवाद का हल निकाल लिया जाए ।इससे एक फायदा तो कुछ सालो बाद आवश्य होगा , हमारे देश के राजनितिक पार्टियो को वोट राम -नाम पर नहीं विकास के मुद्दे पर मांगना होगा।